नैनों की पुतलियों में, सरकार रम गये हैं

नैनों की पुतलियों में, सरकार रम गये हैं,

तर्ज़ – ये रेशमी जुल्फें, ये शरबती आँखें

नैनों की पुतलियों में, सरकार रम गये हैं,
दर्द की दास्तां, फिर सुनाऊँ किसे ।।

जोर-जबरी से कब्जा किया श्याम ने,
दीनबन्धु है अपना लिया श्याम ने,
शिकवा नहीं मुरारी से, उस गिरवरधारी से,
बेधड़क सो गया है, जगाऊँ किसे ।।
नैनों की पुतलियों में, सरकार….

बहुत उल्फत पुरानी है दिलदार से,
थपथपाता है ये दिल बड़े प्यार से,
बालक रूप कन्हैया से, नाता धेनुचरैया से,
जख्म गहरा बहुत है, दिखाऊँ किसे ।।
नैनों की पुतलियों में, सरकार….

श्यामबहादुर नजर भर निहारो मुझे,
‘शिव’ संसार सिन्धु से उबारो मुझे,
चरणों से लिपटा लेना अपना दास बना लेना
नैन की कनखियों से, बुलाऊँ किसे ।।
नैनों की पुतलियों में, सरकार….

श्रद्धेय शिवचरणजी भीमराजका द्वारा ‘ये रेशमी जुल्फें, ये शरबती आँखें’ गीत की तर्ज़ पर आधारित अनुपम रचना ।

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