तर्ज : एक प्यार का नगमा है
रोती हुई आँखों को, मेरे श्याम हँसाते है,
जब कोई नहीं आता, मेरे श्याम ही आते हैं ।। टेर ।
जिन नजरों को बाबा, एक आँख ना भाता था,
करते थे सभी पर्दा, जब में दिख जाता था,
अब वो ही गले लगाकर, अपनापन जताते हैं ।।१।।
सबने हँसता देखा, मेरे घाव नहीं देखे,
ऊँचाई दिखी सबको, मेरे पाँव नहीं देखे,
इस डगर को पाने में, छाले पड़ जाते हैं ।।२।।
अपनों के सभी रिश्ते, फीके पड़ जाते हैं,
जब साख से पैसों के, पत्ते झड़ जाते हैं,
मतलब से सभी ‘माधव’, यहाँ रिश्ता निभाते हैं ।।३।।
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