तर्ज : म्हारे सिर पर है बाबाजी
ओ म्हारे घर में है, पितरांजी को वास, पूरो है विश्वास,
पितर जी म्हारा करेगा भली ।। टेर ॥
‘म्हारे कुटुम्ब का मुखिया है ये, म्हें हां थांका टाबर,
सुख में दुःख में रात में दिन में, म्हाने सम्भाले आकर,
ओ रहवे, पित्तर जी म्हारे आस-पास, पूरो है विश्वास ।।१।।
चौदस को दिन है पितरां को, प्रेम स ज्योत जगावां,
भूल-चूक की माफी माँगा, झुक झुक धोक लगावां,
ओ म्हारे, मन की पुरावें सदा आस, पूरो है विश्वास ||२||
पितर जी की महर से म्हें तो, मौज करां दिन रात, ‘
कहे ‘मोहित’ पितर जी को है, म्हारे सिर पे हाथ, ।।
ओ म्हाने, होवे सदा यो अहसास, पूरो है विश्वास ||३||