यहाँ किसको कहे अपना सभी कहने को अपने है ।

यहाँ किसको कहे अपना सभी कहने को अपने है ।

यहाँ किसको कहे अपना सभी कहने को अपने है ।
जब  परखा  जरूरत पे, लगा अपने बस  सपने है ।

जिनको अपना समझ-समझकर सब कुछ अपना खोया ।
इस  जीवन  मे  जिनकी  वजह  से  बस  रोया  ही  रोया ।
अपनो   के  भरोसे   पे   तो  बस  अरमान   मचलते   है ।

अर्थ  बिना  कोई, अर्थ  नही  है, अर्थ  ही  अनर्थ कराता ।
अर्थ   की   नियति    है  भाई   से,  भाई   को  लड़वाता ।
थोड़े   से   स्वार्थ   में   तो   निज   में    बैर   पनपते   है ।

श्याम की नैय्या श्याम खिवैय्या श्याम ही पालनहारा
जिसकी नैय्या  श्याम भरोसे मिलता उसे ही किनारा ।
‘संजू’  आजमाकर  देख  सिर्फ  बाबा  ही  अपने  है ।।

1 thought on “यहाँ किसको कहे अपना सभी कहने को अपने है ।”

Leave a comment