तर्ज: जो वादा किया वो…
तुम्हें आज मोहन आना पड़ेगा-आना पड़ेगा
बहुत हो गयी है आँख मिचौली, अबतो आना पड़ेगा।।टेर।।
जरा कुछ तो सोचो ए बांके बिहारी,
तेरी याद में हमने जिन्दगी गुजारी,
छलावा नहीं, हकीकत है कान्हा क्या ये जमाना कहेगा।।
तुम्हें आज मोहन आना पड़ेगा-आना पड़ेगा।।
बड़ी पैनी नजरे तुम्हारी मुरारी
ओझल हुआ है कैसे, दरश का भिखारी,
खता कुछ तो है, जाने भी दो, थोड़ा गम खाना पड़ेगा।
तुम्हें आज मोहन आना पड़ेगा-आना पड़ेगा।।
मनाने में उतना माहिर नहीं हूँ।
ज्यादा नहीं सांवरिये कुछ तो सही हूँ।
तेरा ही था, हूँ, तेरा ही रहूँगा, तुमको निभाना पड़ेगा।
तुम्हें आज मोहन आना पड़ेगा-आना पड़ेगा।।
गुरु की कृपा से दिक्षा है पाई
चरण रज तुम्हारी ही मेरी दवाई,
घाव है हरा, भरना है तुमको क्या ये बताना पड़ेगा।।
तुम्हें आज मोहन आना पड़ेगा-आना पड़ेगा।।
1 thought on “तुम्हें आज मोहन आना पड़ेगा-आना पड़ेगा”