तर्ज – म्हारो बेड़ो लगाय दीज्यो पार, बावड़ी का बालाजी
थानै नैणा निहारै नन्दलाल,
बात मेरी बाबा सुणो ।
मेरो छोटो सो दाता सवाल,
बात मेरी बाबा सुणो ।।
बोलो तो बाबाजी थानै न्यूत जिमाऊँ,
मेवो देकर चूरमों बणाऊँ,
तो पंचमेळै की दाळ ।
बात मेरी बाबा सुणो ।।
थारै तांई ल्याऊँ बाबा माखन-मिसरी,
खीर केशरानी किसमिस री,
तो बाँसुरी बजाओ गोपाल ।
बात मेरी बाबा सुणो ।।
एक बार बाबा म्हानै लटक दिखाओ,
नैण मिला हँस कर बतळाओ,
तो मत कर टाळम-टाळ ।
बात मेरी बाबा सुणो ।।
श्यामबहादुर श्याम रंगीला,
थे जाणो ‘शिव’ थारी लीला,
तो बेसी दिन मत घाल ।
बात मेरी बाबा सुणो ।।
न्यूत(ना) = निमंत्रण देना
पंचमैळै = पांच प्रकार की वस्तुओं का
मिश्रण ◆ बेसी = ज्यादा, अधिक
केशरानी = केशर मिश्रित
श्रद्धेय स्व. शिवचरण जी भीमराजका
‘शिव’ द्वारा राजस्थानी गीत ‘चिरमी रा
डाळा च्यार’ (भजन-म्हारो बेड़ो लगाय दीज्यो पार, बावड़ी का बालाजी) की
तर्ज पर रचित अनुपम श्याम वन्दना