सावण आयो, आयो नन्दलाल
प्रीतम प्रीत लगाईं के,तुम दूर देस मत जाव,बसों हमारी नगरी में पिया,हम माँगत तुम खाय।काजळिया री रेख सूं,थाने पतिया लिखूं …
प्रीतम प्रीत लगाईं के,तुम दूर देस मत जाव,बसों हमारी नगरी में पिया,हम माँगत तुम खाय।काजळिया री रेख सूं,थाने पतिया लिखूं …