सावण आयो, आयो नन्दलाल

सावण आयो, आयो नन्दलाल

प्रीतम प्रीत लगाईं के,
तुम दूर देस मत जाव,
बसों हमारी नगरी में पिया,
हम माँगत तुम खाय।
काजळिया री रेख सूं,
थाने पतिया लिखूं हजार,
आनो है तो आजा मोहन,
म्हारो सावन बीत्यो जाय।

सावण आयो, आयो नन्दलाल,
सावण आयो, आवो नन्दलाल,
नैणा बरसे, जिया
म्हारो तरसे,
हो गई मैं बेहाल,
सावण आयो, आयो नन्दलाल।

संग री सहेल्या म्हारी,
झूले बगियन में,
संग री सहेल्या म्हारी,
झूले बगियन में,
दे दे मधुरी ताल,
सावण आयो, आवो नन्दलाल।

रिमझिम रिमझिम,
मेहूडो बरसे,
रिमझिम रिमझिम,
मेहूडो बरसे,
लग रही मोह उरसाल,
सावण आयो, आवो नन्दलाल।

बरसी रे बरसी,
बिरखा बरसी,
सावण बिण बरसी,
जिण ने ढूंढे म्हारा नैण,
उण ने आया सरसी,
सावण आयो, आवो नन्दलाल।

कारी कारी रैण,
बिजुरिया चमके,
कारी कारी रैण,
बिजुरिया चमके,
उठे बदन में झाळ,
सावण आयो ,
आवो नन्दलाल।

हुई रे दीवानी,
प्रेम रंग में,
सुण ले श्री गोपाल,
कर जोड़त,
यो रामनिवास कहे,
सुण ले श्री गोपाल।
सावण आयो ,
आव
सावन में झूला झूल रहे,
राधे संग कुंज बिहारी,
सावन में झूला झूल रहें,
राधे संग कुंज बिहारी,
राधे संग रसिक बिहारी,
राधे संग नित्य बिहारी,
सावन में झूला झूल रहें,
राधे संग कुंज बिहारी।।

मोर मुकुट कानन में कुंडल,
रूप निहारत सब बृज मंडल,
कर दर्शन सुध बुध भूल रहे,
राधे संग कुंज बिहारी,
सावन में झूला झूल रहें,
राधे संग कुंज बिहारी।।

बांकी झांकी है प्यारी,
प्यारे नंद लाल की,
मीरा दीवानी हो गई,
गिरधर गोपाल की।

खडो मनसुखा लेकर सोटा,
सखिया दे रही लंबे झोटा,
और बादल काले झूल रहे,
राधे संग कुंज बिहारी,
सावन में झूला झूल रहें,
राधे संग कुंज बिहारी।।

कुक रही है कोयल काली,
लता पता छाई हरियाली,
महक कदम संग फूल रहे,
राधे संग कुंज बिहारी,
सावन में झूला झूल रहें,
राधे संग कुंज बिहारी।।

प्रेमी ब्रज लागे मनभावन,
रिमझिम रिमझिम बरसे सावन,
बर कालिंदी संग झूल रहे,
राधे संग कुंज बिहारी,
सावन में झूला झूल रहें,
राधे संग कुंज बिहारी।।

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