श्री कृष्णा कहते है
~ जीवन में समय चाहे जैसा भी हो, परिवार के साथ रहो। सुख हो तो बढ़ जाता है, और दुःख हो तो बट जाता है।
~ इस संसार में मूर्ख व्यक्ति, अधर्मी, अज्ञानी व नास्तिक प्रकृति का व्यक्ति, मेरी शरण स्वीकार नहीं कर सकता।
~ ज्ञानी व्यक्ति को कर्म के प्रतिफल की अपेक्षा कर रहे अज्ञानी व्यक्ति के दिमाग को अस्थिर नहीं करना चाहिए।
~ अपने जीवन में कभी भी ना किसी को आनंद में वचन दे, ना क्रोध में उत्तर दे और ना ही दुख में कभी निर्णय ले।
~ किसी और का काम पूर्णता से करने से कहीं अच्छा है कि अपना काम करें, भले ही उसे अपूर्णता से करना पड़े।