श्री कृष्णा कहते है
~ मन बहुत चंचल है, जो इंसान के दिल में उथल-पुथल कर देता है।
~ जब वे अपने कार्य में आनंद खोज लेते हैं, तब वे पूर्णता प्राप्त करते हैं।
~ प्रबुद्ध व्यक्ति के लिए, गंदगी का ढेर, पत्थर और सोना सभी समान हैं।
~ आपके कर्म ही आपकी पहचान है, वरना एक नाम के हजारों इंसान हैं।
~ धर्म केवल कर्म से होता है कर्म के बिना धर्म की कोई परिभाषा ही नहीं है।