तर्ज – म्हारी चन्द्रगवरजा
शिवशंकर भोळा,
छाणो थे गोळा,
नित की भांग का ।।
हरी-हरी बिजिया, आक धतूरा,
घोटो विशवा-बीस,
अंग भभूति सर्पमाळ गळ,
गंग बिराजै शीश ।।
हो शिवशंकर भोळा, छाणो….
जटाजूट माथै पर चन्दा,
मस्ती में भरपूर,
नीलकंठ महादेव त्रिलोचन,
विनती सुणो हुजूर ।।
हो शिवशंकर भोळा,
छाणो….
चिंत्या करणो, काम जीव को,
थे तो हो मस्तान,
याद दुवाणो पर प्रभु थानै,
पड़ गई मेरी बाण ।।
हो शिवशंकर भोळा,
छाणो….
कदसी टूटै, शम्भू समाधि,
कद करस्यो कल्याण,
आदि देव दातार कुहाओ,
सेवो थे शमशान ।।
हो शिवशंकर भोळा,
छाणो….
श्यामबहादुर, ‘शिव’ अविनाशी,
मेरी ओर निहार,
थारी याद कदे नहीं भूलूँ,
भर दयो सुख भण्डार ।।
हो शिवशंकर भोळा,
छाणो….