तर्ज – तुम पग पग पर
मैं हार गया हूँ बाबा,
हारे का साथ निभाओ,
मैं बैठा बांह पसारे,इक बार तो हाथ बढ़ाओ,
मैं हार गया हूँ बाबा……..।
हारे का साथ निभाना,तेरा दस्तूर पुराना,
मेरी उम्मीद भी तुम हो, प्रभु मुझको भूल ना जाना,
काँटों के इस जीवन में, इक बार तो फूल खिलाओ,
मैं बैठा बांह पसारे,इक बार तो हाथ बढ़ाओ,
मैं हार गया हूँ बाबा हारे का साथ निभाओ
विपदा ने घेर लिया है,जख्मों ने ढेर किया है,
मैं आस लगाऊं किससे,सबने मुंह फेर लिया है,
है आस की डोर ये नाजुक, मुझे आकर धीर बंधाओ,
मैं बैठा बांह पसारे,इक बार तो हाथ बढ़ाओ,
मैं हार गया हूँ बाबा हारे का साथ निभाओ
माना की आँखें ये नम हैं, होठों पे आया दम है,
मैं हार गया हूँ लेकिन, विश्वास मेरा कायम है,
अब दूर करो दुःख मेरा, खुशियों के दीप जलाओ,
मैं बैठा बांह पसारे, इक बार तो हाथ बढ़ाओ,
मैं हार गया हूँ बाबा हारे का साथ निभाओ
खाली जो दर से जाऊं, क्या जग को मैं बतलाऊँ,
होगी बदनामी तेरी, जो हरगिज मैं ना चाहूँ,
“माधव” अब हाथ में तेरे, तरसाओ या हर्षाओ,
मैं बैठा बांह पसारे, इक बार तो हाथ बढ़ाओ,
मैं हार गया हूँ बाबा हारे का साथ निभाओ