![लगी श्यामसुन्दर से, जबसे लगन](https://bhajankitab.com/wp-content/uploads/2023/07/cropped-god-lord-krishna-wallpaper-preview-1-6.jpg)
तर्ज़ – दो हंसों का जोड़ा, बिछड़ गयो रे
लगी श्यामसुन्दर से, जबसे लगन,
मगन मेरा तन मन है, जियरा मगन ।।
कहूँ क्या नींद में, जब ये जहान सोता है,
कसक सी कारजै में, दर्द सा कुछ होता है,
अश्क बनकर कोई, बाजू मेरे भिगोता है,
दर्द भी क्या है कि, होशो-हवाश खोता है,
मैं पूछूँ किसे, इस मरज़ का जतन ।
मगन मेरा तन मन है, जियरा मगन ।।
किसी की याद क्यों,
रह – रह के मुझे आती है,
भुलाना चाहता पर दिल को खाये जाती है
नींद आंखों से गई, साँवले कहाँ मेरी,
जुदाई किस लिये, तेरी मुझे सताती है,
तूं ही चैन दिल का है, सच्चा रतन,
मगन मेरा तन मन है, जियरा मगन ।।
मिलोगे तुम सुहानी, वो भी एक घड़ी होगी
चढ़े लीलै पे होंगे, हाथ में छड़ी होगी,
बिछी पलकें तेरे, चरणों में जो पड़ी होगी,
मेहरबानी मेरे महबूब, की बड़ी होगी,
मेरा तो तूं ही श्याम, तारण तरण ।
मगन मेरा तन मन है, जियरा मगन ।।
तड़फने में कुछ, मजा अजीब आता है,
मेरे सरताज का जलवा, क्या रंग लाता है,
मिटाता है वही, किस्मत वही बनाता है,
उसका दीवाना ही, बस पता पाता है,
पीये ‘शिव’ ने धोके, हरि के चरण ।
मगन मेरा तन मन है, जियरा मगन ।।
श्रद्धेय स्व. शिवचरणजी भीमराजका
द्वारा ‘दो हंसों का जोड़ा, बिछड़ गयो
रे’ गीत की तर्ज़ पर आधारित अनुपम
श्याम वन्दना ।