तर्ज – मोरिया आछो बोल्यो रै हरियल बाग मं
कन्हैया, मुरली बजाई कैसी राचणी,
ज्यांमै उळझयो – उळझयो,
सारो यो संसार साँवरा ।।
कन्हैया, लचको निराळो थारै पाँव को,
थारा जादूगारा कारा-कारा नैण कन्हैया,
मुरली बजाई कैसी राचणी ।।
कन्हैया, होठां नै चूमै थारी बाँसरी,
बाळी कानां मांळी चूमै छै कपोल कन्हैया,
मुरली बजाई कैसी राचणी ।।
कन्हैया, बाँकोपण थारो मन्नै मार’ग्यो,
नीको-2 लागै थारो यो सिणगार कन्हैया,
मुरली बजाई कैसी राचणी ।।
कन्हैया, नेवर पगां की थारी बोलणी,
ज्यांसै निकलै-2 रागनी छत्तीस कन्हैया,
मुरली बजाई कैसी राचणी ।।
कन्हैया, श्यामबहादुर थारै चेलै को,
सारै ‘शिव’ का समूचा तूं ही काज कन्हैया,
मुरली बजाई कैसी राचणी ।।
बाळी = कानों में पहनने का आभूषण
मांळी = वाली, अंदर की
मार’ग्यो = मार गया, जादू कर गया
नीको = सुन्दर, मनभावन, अप्रतिम
नेवर = पायल, पायजेव
बोलणी = बोलने (आवाज करने) वाली
श्रद्धेय स्व. शिवचरणजी भीमराजका
‘शिव’ द्वारा सुप्रसिद्ध राजस्थानी गीत
‘मोरिया आछो बोल्यो रै हरियल बाग
मं’ की तर्ज पर रचित श्याम वन्दना