जिनकी दया ओर, छोर नहीं है

जिनकी दया ओर, छोर नहीं है

तर्ज :- साथी हमारा कौन बनेगा

जिनकी दया ओर, छोर नहीं है,
श्याम है वो कोई और नहीं है ।

खाली कोई ना लौटा, जो सच्चे मन से आया,
हाथ बाबा का उसने, सदा सर पर है पाया,
जन्मों जनम तक बाबा उनका, छोड़े ना फिर साथ-२,
घर घर में अब शोर यही है,
श्याम है वो……..

ये वो चौखट है जिसकी, मैं महिमा क्या बतलावुं,
देख कर रूतबा इनका, सारी सुध-बुध बिसरावुं,
इस दरबार में बनते देखे, मैनें बिगड़े काम – २
जिनका जगत में जोड़ नहीं है,
श्याम है वो ………

हार कर आते जो भी, शरण में बाबा तेरी,
उसे सीने से लगाते, ना करते पल की देरी,
मोर छड़ी ले दौड़े आते, दिन देखे ना रात -२
जिनकी कृपा का तोड़ नहीं है,
श्याम है वो…….

मिला जो कुछ भी मुझको, दिया सब आपने है,
आज जैसा भी है ये, खड़ा तेरे सामने है,
दिनु” हर प्रेमी से कहता, सुनलो मेरी बात -२,
जिनसे ये जीवन डोर बंधी है ,
श्याम है वो…….

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