आया शरण ठोकरें जग की ख़ाके

आया शरण ठोकरें जग की ख़ाके

आया शरण ठोकरें जग की ख़ाके
हटुगा प्रभु तेरी दया दृष्टि पाके ।।

तुने बुलाया तो मैं नहीं आया ,
मेरे मन में चाहा तो चरणों में आया
बड़ा दुख पाया हु मैं 2 ,तुझको भुला के
आया शरण ठोकरें जग की ख़ाके ।।

यदी लाज आती हो ,पलकें उठालो
चरण में पड़ा है बालक हिवडै लगालो
हाथ फिरादो सिर पे ,2 अपना बना के
आया शरण ठोकरें जग की ख़ाके ।।

ये तन तुम्हारा है जैसे नचालो
चाहे गिरा दो चाहे उठा लो
चाहे मेरे प्राण ले लो 2 , गले को दबा के
आया शरण ठोकरें जग की खाके ।।

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