तर्ज- दरबार है निराला
क्या हाल है हमारा, देखों तो श्याम प्यारे ।
तुम भूल क्यूं गए हो, हम हैं तेरे सहारे ।।
हर पल है याद तेरी, हर पल है ध्यान तेरा,
कहीं और दिल न लगता है उदास दिल ये मेरा,
नजदीक आके प्यारे मदहोश तो बनारे।।
तुम भूल….
आँखो के अश्क सुखे, अधरों से शब्द रूठे,
कुछ भी समझ न आवै, हर रंग लगते फीके,
रंगरेज रंग के मुझको, जीवन मेरा सजादे ॥
तुम भूल….
पर्दा नहीं है तुमसे, तुम मेरे प्राणधन हो,
तुमसे बंधा है जीवन, तुम मेरे जानेमन हो
“नन्दू” हृदय को मोहन, मंदिरा जरा बनादे ॥
तुम भूल………