तर्ज़ – नैया है मझधार इसे पार लगा जावो
गम की काली रात तो सुख का दिन भी आता है
सांवरिया है साथ तेरे तूं क्यों घबराता है।
क्यों घबराता है सांवरा साथ निभाता है।
सांवरिया है साथ तेरे तूं क्यों घबराता है।
टूटी नैया छूटा साथी चाहे हो मझदार बड़ी।
फिर भी बेड़ा पार लगेगा घूमेगी जब मोर छड़ी।
मन में रख विश्वास यही बाबा समझाता है।
सांवरिया है साथ तेरे तूं क्यों घबराता है।
सांवरिया है साथ तेरे तूं क्यों घबराता है।
नरसी मिरा कर्मा ने भी श्याम से आस लगाई थी
लाज बचाइ द्रोपत सुता की साड़ी घट ना पाई थी
सुनके करुण पुकार यह पल भी रुक नहीं पाता है
सांवरिया है साथ तेरे तूं क्यों घबराता है।
सांवरिया है साथ तेरे तूं क्यों घबराता है।
तेरा मेरा छोड़ तरुण यहां कोई न साथ निभाएगा
सांवरिया ही आया था और सांवरिया ही आएगा
मेरा लखदातार यह सांचा न्याय चुकाता है।
सांवरिया है साथ तेरे तूं क्यों घबराता है।
सांवरिया है साथ तेरे तूं क्यों घबराता है।
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