तर्ज:-नदिया चले,चले रे धारा
तुझको ढूंढे ये जग सारा,
चप्पा चप्पा खोज के हारा
पर तुं ना मिला,प्रभु तुं ना मिला।।
गंगा नहाये कोई जमुना नहाये,
हर की पेङी पे डुबकी लगाये,
मथुरा में ढूंढे,बृन्दावन में ढूंढे,
कुञ्जन में ढूंढे तुझको कानन में ढूंढे,
।।पर,तुं ना मिला,प्रभु।।
ज्ञानी और ध्यानी भी पच पच के हारे,
जीवन खपा देते सारे के सारे,
ग्रन्थों के पन्नो पर नजरें टिकाये,
माला के मणकों को कोई घुमाये
।।पर,तुं ना मिला,प्रभु।।
मन्दिर में जायें तुझको मूरत में ढूंढे
साॅवली सलौनी सी सूरत में ढूंढे,
तेरा ठिकाना ना तेरी खबर है,
भटके जमाना इधर से उधर है
।।पर,तुं ना मिला,प्रभु।।
लाखों करोङों में कोई निकलता ,
जिसकी लगन सच्ची उसको तुं मिलता,
“बिन्नू” जो खुद के अहम को मिटाता,
प्रेम की गंगा में गोते लगाता
।।तुं उसी को मिला,तुं उसी को मिला।।