तर्ज़ – मुहब्बत की झूंठी कहानी पे रोये
जमाने से मुझको सरोकार क्या है,
उसे क्या पता, प्रीत की मार क्या है ।।
नैया का पतवार बनाया है जिसको,
हृदय खोलकर के, दिखाया है जिसको,
बिना प्यार के, मेरा संसार क्या है ।।
जमाने से मुझको सरोकार….
गज़ब का सलोना, कन्हैया का मुखड़ा,
तूं मरहम जिगर का, कलेजे का टुकड़ा,
दीवाने का दिल है ये, खतावार क्या है ।।
जमाने से मुझको सरोकार….
ये ‘शिव’ श्यामबहादुर, नजर है तुम्हारी,
अमर हो गई एक, दरदी की यारी,
वफ़ा करने वालों, से इंकार क्या है ।।
जमाने से मुझको सरोकार….
श्रद्धेय स्व. शिवचरण जी भीमराजका
द्वारा ‘मुहब्बत की झूंठी कहानी पे रोये’
गीत की तर्ज़ पर रचित श्याम वन्द
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