तर्ज़ – ये रेशमी जुल्फें
आवाज़ लगाई है, दाता को सुनाई है,
याद आवै तेरी, मैं बता के करूँ ।।
श्यामसुन्दर से मिलना, जरूरी बहुत,
मान जाओ करी है, हजूरी बहुत,
दीवाना तेरी यारी का,
केशव कुंज बिहारी का,
बेपता तूं कहाँ है, पता के करूँ ।।
आवाज़ लगाई है, दाता को…
तेरे जज्बात ही मेरे, दिल की दवा,
तेरा नजारा मेरी, मंजिल हो गया,
दिलवर मेरी दुहाई है,
प्रीत मेरी रंग लाई है,
इस जहां से मैं फिर, वास्ता के करूँ ।।
आवाज़ लगाई है, दाता को…
तेरी यारी बड़ी ही, मजेदार है,
प्यार की धार दुनिया में, साकार है,
है बेजोड़ मदारी तूं,
‘शिव’ का संकटहारी तूं,
श्यामबहादुर बता, रास्ता के करूँ ।।
आवाज़ लगाई है, दाता को…
श्रद्धेय स्व. शिवचरणजी भीमराजका
‘शिव’ द्वारा ‘ये रेशमी जुल्फें ये शरबती
आँखें’ गीत की तर्ज़ पर रचित अनुपम
श्याम वन्दना ।
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