तर्ज … इतनी शक्ति हमें देना दाता
झूठी स्वार्थ की दुनिया ये सारी ,
यहां किसको कहें हम हमारा ।
सारे रिश्ते तुम्हीं से है बाबा ,
थामे रखना तू दामन हमारा ।।
झूठी स्वार्थ की….
एक अनजानी राह पर चले थे ,
राह दर पे तेरे लेके आई ।
सारी दुनिया में हमने सुना था ,
तेरे दर पे है होती सुनाई ।।
आके दर पे जो सर को झुकाया,
हर लिया तुने कष्ट हमारा ।।
सारे रिश्ते तुम्ही से..
हम सुनाएं तो किसको सुनाएं ,
कोई सुनता नहीं है हमारी ।
अहंकार में डूबे सभी हैं ,
मतलबी बन गई दुनिया सारी ।।
हम को अब ना किसी की जरूरत ,
जब से साथी बना तू हमारा ।।
सारे रिश्ते तुम्ही से…
सारी दुनियां सजाई है तुमने ,
श्याम मेरा भी जीवन सजा दो।
दुःख लिखे जिंदगी में हैं जितने ,
श्याम सारे दुखों को मिटा दो
तेरा प्रेमी ये पागल दीवाना ,
गुण गाता रहेगा तुम्हारा ।।
सारे रिश्ते तुम्हीं से…
झूठी स्वार्थ की दुनिया ये सारी ,
यहां किसको कहें हम हमारा।
सारे रिश्ते तुम्हीं से है बाबा ,
थामे रखना तू दामन हमारा ।।