
हैं नशा अनोखां प्रीति दां,तें बखरां तेरा मयखाना,
इकवारीं मैं तैथों पीतीं सीं,तें बनया फिरां मैं दीवाना,,
बिन पियें नशा हो जाता हैं-२,
जब सूरत देंखूँ ,मोहन कीं-२,
ना जानें कया हो जाता हैं-२,
जब सूरत देंखूँ ,मोहन कीं-२,
मनमोहन मदन मुरारी हैं-२,
जन-जन का पालनंहारीं हैं-२,
ये दिल उस पर भी आता हैं-२,
जब सूरत देंखूँ ,मोहन कीं-२,
बिन पियें नशा हो जाता हैं-२,
जब सूरत देंखूँ ,मोहन कीं-२,
ना जानें कया हो जाता हैं-२,
जब सूरत देंखूँ ,मोहन कीं-२,
घुंघरालीं लटैं मुख पें लटकें-२,
कानों में कुण्डल हैं छलकें-२,
जब मन्द-मन्द मुस्कातां हैं-२,
जब सूरत देंखूँ ,मोहन कीं-२,
बिन पियें नशा हो जाता हैं-२,
जब सूरत देंखूँ ,मोहन कीं-२,
ना जानें कया हो जाता हैं-२,
जब सूरत देंखूँ ,मोहन कीं-२,
अंदाज निरालें हैं उनकें-२,
दुख-दर्द मिटा दें जीवन कें-२,
मेरा रोम-रोम हरषातां हैं-२,
जब सूरत देंखूँ ,मोहन कीं-२,
बिन पियें नशा हो जाता हैं-२,
जब सूरत देंखूँ ,मोहन कीं-२,
ना जानें कया हो जाता हैं-२,
जब सूरत देंखूँ ,मोहन कीं-२,