श्याम ध्वजाबंध धारी, हमारी सुध कब लोगे,
दीनन के हितकारी, हमारी सुध कब लोगे ।।
मीरां दासी को अपनाया,
सर्प नौलखा हार बनाया,
गोवर्धन गिरधारी,
हमारी सुध कब लोगे ।।
श्याम ध्वजाबंध धारी, हमारी सुध कब लोगे
खम्भ फोड़ प्रहलाद उबारा,
हिरणाकुश का उदर विदारा,
जागो लीलाधारी,
हमारी सुध कब लोगे ।।
श्याम ध्वजाबंध धारी, हमारी सुध कब लोगे
धीरज की सीमा नहीं टूटै,
आशा का सम्बल ना छूटै,
भक्तवत्सल बनवारी,
हमारी सुध कब लोगे ।।
श्याम ध्वजाबंध धारी, हमारी सुध कब लोगे
श्यामबहादुर बेगा धाओ,
दयासिन्धु हो दया दिखाओ,
‘शिव’ ने अरज़ गुजारी,
हमारी सुध कब लोगे ।।
श्याम ध्वजाबंध धारी, हमारी सुध कब लोगे
श्रद्धेय शिवचरणजी भीमराजका ‘शिव’ द्वारा
‘जलती रहे खाटूवाले, ज्योत तेरी जलती रहे’ भजनकी तर्ज़ पर रचित रचना ।