कृपा की न होती, जो आदत तुम्हारी – गुरु वंदना
तर्ज;-तुम्ही मेरे मन्दिर तुम्ही मेरी पूजा कृपा की न होती,जो आदत तुम्हारी।न जाने गति क्या, होती हमारी। न सत्संग सुहाते,न …
तर्ज;-तुम्ही मेरे मन्दिर तुम्ही मेरी पूजा कृपा की न होती,जो आदत तुम्हारी।न जाने गति क्या, होती हमारी। न सत्संग सुहाते,न …