श्री कृष्णा कहते है की
~ जो इस लोक में अपने काम की सफलता की कामना रखते हैं, वे देवताओं का पूजन करें।
~ व्यक्ति जो चाहे बन सकता है, यदि विश्वास के साथ इच्छित वस्तु पर लगातार चिंतन करें।
~ शब्द उतने ही बाहर निकालने चाहिए, जिन्हें वापिस भी लेना पड़े तो खुद को तकलीफ न हो।
~ परायों को अपना बनाना उतना मुश्किल नहीं, जितना अपनों को अपना बनाए रखना होता है।
~ इंसान की सोच ही उसकी सबसे बड़ी पहचान है वरना दुनिया में एक नाम के अनेक इंसान है।