श्री कृष्णा कहते है की
~ मान, अपमान, लाभ-हानि, खुश हो जाना या दुखी हो जाना यह सब मन की शरारत है।
~ जिसे तुम अपना समझ कर मग्न हो रहे हो बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दुखों का कारण हैं।
~ उस इंसान का मंजिल से भटक जाना तय है जिसकी संगत में नकारात्मक लोग रहते हैं।
~ प्रेम सदैव माफी मांगना पसंद करता है और अहंकार सदैव माफी सुनना पसंद करता है।
~ सिर्फ दिखावे के लिए अच्छा मत बनो मैं आपको बाहर से नहीं बल्कि भीतर से जानता हूं।