श्री कृष्ण कहते है की
~ अगर व्यक्ति शिक्षा से पहले संस्कार, व्यापार से पहले व्यवहार और भगवान से पहले माता पिता को पहचान ले तो जिंदगी में कभी कोई कठिनाई नही आएगी।
~ विषयों का चिंतन करने से विषयों की आसक्ति होती है। आसक्ति से इच्छा उत्पन्न होती है और इच्छा से क्रोध होता है।क्रोध से सम्मोहन और अविवेक उत्पन्न होता है। (भगवान श्री कृष्ण के विचार)
~ कृष्ण कहते हैं जैसे प्राणी अपने पुराने कपड़ों उतार कर फेंक देता है, नए को धारण करता है। उसी प्रकार यह आत्मा पुराने शरीर से त्याग करके नया शरीर प्राप्त करती हैं।
~ तुम उसके लिए शोक करते हो जो शोक करने के योग्य नही हैं, और फिर भी ज्ञान की बातें करते हो, बुद्धिमान व्यक्ति ना जीवित और ना ही मृत व्यक्ति के लिए शोक करते हैं।
~ मन की गतिविधियों, होश, श्वास और भावनाओं के माध्यम से भगवान की शक्ति सदा तुम्हारे साथ है और लगातार तुम्हे बस एक साधन की तरह प्रयोग कर सभी कार्य कर रही है।