तर्ज – मेरे सामने वाली खिड़की में
मेरे सामने खाटू वाले ने, लाखों की बिगड़ी बनाई है।
दरबार में आया जो भी, बाबा ने करी सुनाई है। ।
इन्साफ मिला लोगों को यहां बाबा के दीवाने बन बैठे,
रहते हैं इसकी मस्ती में, बस प्यार इसी से कर बैठे,
परेशान थे, जो जीवन में, बाबा ने राह दिखाई है ।। १ ।।
हर बार पुकारा बाबा को, वो लाज बचाने आया है,
ये सुनी सुनाई बात नहीं, हमने भी तो अजमाया है.
सरकार ने भक्तों के लिए, अपनी सरकार बनाई है ।। २ ।।
भण्डार में इसके कमी नहीं, दिल खोल के माल लुटाता है.
“बनवारी” देने लगता है, दामन छोटा पड़ जाता है.
इन्कार कभी करता ही नहीं, जिसने भी अर्ज लगाई है।।३।।