माँ अहिलावती के लाल ने (२)
दिया था शीश दान में
वो चूल काना धाम है (२)
1) मै जब जब तेरे दर्शन पाती हूँ
तू मुझे अपनी बांथी में भींच लेता है
मुझपे लाड दुलार ममता लुटाता है
शीश दिया दान में चुलकाना धाम में
2) वहाँ बैकर बाबा डीक रहयो अपने भक्ता ने
कद आयेगा रस्तो देख रहयो
याद म्हाने भी सतावे बाबा थासू मिलवा ताही
शीश दिया दान में चुलकाना धाम में
3) खीर चूरमा को भोग लगाके बाबा थाने
थोड़ी कढी कचोरी भी जिमा के बाबा
चोखी चोखी लागे बाबा थोडी सी मिर्ची गेरी
स्वाद थाने चोखो लागेगो
शीश दिया था दान में चुलमाना धान में
4) बागा सुन्दर सो पहन नीले घोडे पे बैठ
कईयो जच रहयाे है अइयां लागे जहयां
चाँद जमीं पर आज आ गयो है
विजयलक्ष्मी आरती उतारे चरणो में शीश धरकर
शीश दिया था दान चुलकाना धाम में