तर्ज़ :- हारे का तू है सहारा
लो फिर से तेरी ग्यारस ये आयी है
भक्तो के मन में फिर खुशियां छायी है
हम खाटू जायेंगे तेरा दर्शन पाएंगे
दिल की बातें बाबा हम तुम्हे सुनाएंगे
खाटू नगरीया तेरी दूर बड़ी है
एक ही तो दिन ये आती मिलन की घडी है
नजदीक से हम तेरा दीदार करते है
इस पल का ही तो हम इंतज़ार करते है
तेरे प्रेमियों की मिलती है संगत
कीर्तन में तेरी दिखती निराली सी रंगत
तुम बैठ सिंघासन पे फिर हुकुम चलते हो
हम दिन दुखी पर श्याम किरपा बरसाते हो
कुछ भी न अच्छा लगता ग्यारस के जाते
आँखों में आंसू ले हम लौट के आते
करते है ये विनती हमे फिर से बुला लेना
शिवम् को सांवरिया कहीं तुम न भुला देना