तर्ज़ – मेरे नैना सावन भादो
खाटू वाले तेरे रहते झर झर बरसे नैना,
इतना बता दे ये दुःख मुझको कब तक और है सहना
झर झर बरसे नैना,
तुझको निहारु मैं तुझको पुकारू मैं,
सुनता नहीं क्यों बात मेरी तू इतना तू क्यों तड़पाये,
क्यों न हाथ बढ़ाये,
या तो कह दे छोड़ दू मैं तुझसे,अब मैं कुछ भी कहना,
झर झर बरसे नैना……..
तुमसे ही आस बंधी सुख की प्यास जगी,
किस दर जाऊ किस को रिझाऊं,
दिल तेरा क्यों न पसीजे, बैठा है अँखियाँ मीचे,
भव सागर के तूफानों में कब तक और है बहना,
झर झर बरसे नैना,
हारे का सहारा है सब को भा रहा है,
सुन ओ कन्हैयाँ मेरी भी नाइयाँ क्यों न पार लगाये,
दास ये डूब न जाये,
मैं भी हु हारा देदे सहारा,तुझ बिन अब नहीं है रहना,
झर झर बरसे नैना,
मैं भी हु दास तेरा,तू विश्वाश मेरा,
सिर पर मेरे हाथ जो फेरे सुन ने ओ सांवरियां,
चोखानी के तुझ बिन बाबा कटते नहीं दिन रहना,
झर झर बरसे नैना,
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