तर्ज – उठे तो बोले राम बैठे तो बोले राम
गढ़ रणत भवन स आवो , म्हारा कारज सफल बनाओ
आवो माँ गिरजा का लाल , थे रिद्धि सिद्धि लेकर आवो।।
है पहलो न्यूतो थारो , थे अटका कारज सारो
आवो रिद्धि सिद्धि रा दातार , म्हारो कीर्तन सफल बनाओ।।
थारे आया काज सरेगो , कीर्तन में रंग जमेगो
करदो अमृत की बरसात , थे रस बरसावण आवो।।
म्हे भजन भाव का गास्यां , थारे चरणा शीश नवास्या
म्हारै कंठ विराजो आय , म्हारो मान बढ़ावण आवो।।
है दास सुरेश शरण मे , मत देर करो आवण में
करसा थारी जय जयकार , म्हारी बात निभावण आवो।।