तर्ज आंख्या रो काजल थारो।
चौखट पर बैठ के बाबा,अर्जी लगावा जी,
तो अर्जी में आँसुडा री,भेंट चढ़ावा जी,
अर्जी लगावा जी,
चोखट पर बैठ के बाबा,अर्जी लगावा जी।।
अर्जी में बाबा मैं तो,कुटिया ही माँगी जी,
तो कुटिया ने महल,बणायो बाबा श्याम जी,
अर्जी लगावा जी,
चोखट पर बैठ के बाबा,अर्जी लगावा जी।।
अर्जी में बाबा में तो,झोली फैलाई जी,
तो आँगन में लाल ने,ख़िलायो बाबा श्याम जी,
अर्जी लगावा जी,
चोखट पर बैठ के बाबा,अर्जी लगावा जी।।
अर्जी में थासु रोटी,घरका की मागी जी,
तो चाकर ने सेठ,बनायो बाबा श्याम जी,
अर्जी लगावा जी,
चोखट पर बैठ के बाबा,अर्जी लगावा जी।।
अर्जी में बाबा सारो,दुखड़ो सुनावा जी,
तो दुखड़ो मिटाकर,सारो सुख बरसाओ जी,
अर्जी लगावा जी,
चोखट पर बैठ के बाबा,अर्जी लगावा जी।।
अर्जी में अमित बाबा,अब थासु मांगे जी,
मांगे जन्मा जन्मा को रिश्तों,थासू आज जी,
अर्जी लगावा जी,
चोखट पर बैठ के बाबा,अर्जी लगावा जी।।
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