तर्ज – टप टप लीला घोड़ा चाल रहा
छम छम नाचे रे सेवकिया बाबो श्याम नचावे है
श्याम नचावे है , भक्तजन सुध बिसरावे है ।।
बैठो है दरबार लगा कर , कलियुग को अवतारी श्याम
श्याम धणी का दर्शन करने , आया नर और नारी ।।
शरण पड़े की रक्षा करतो , सबकी आस पुरावे , श्याम
दीन दयाल दया को सागर , लखदातार कुहावे ।।
लीले चढ़ कर श्याम पधारया , भाग्य आपणों जाग्यो आज
श्याम रंग कीर्तन में बरस्यो , तन मन नाचण लाग्यो ।।
टाबरिया ने देख देख कर , श्याम धणी मुस्कान आज
सिंहासन न छोड़ क आजा , क्यु इतणो तरसा शरमावे।।
बिन्नू देखो झूम-झूमकर , हो रहयो सब मतवाला आज
जिन भागता ने श्याम नचावे , वो है किस्मत वाला।।