वृन्दावन में रास रचाये
नंदन वन का नन्द किशोर
सुनो कान्हा ने बांसुरी बजायी रे
पायल राधा की छनन छान कई रे
सुनो कान्हा ने बांसुरी बजायी रे
पायल राधा की छनन छान कई रे
बांसुरी की मधरु धुन आयी रे
तन मन की सुध बिसराई रे
सुनो कान्हा ने बांसुरी बजायी रे
पायल राधा की छनन छान कई रे
ओढ़े घूंघट पट राधा जमुना के तट
पनघट पे भरण जल आयी रे
आयी मुरली की तान जैसे कोई तूफ़ान
राधा चुनरी संभल नहीं पायी रे
सुनो कान्हा ने बांसुरी बजायी रे
पायल राधा की छनन छान कई रे
यशोदा का वो लाल नन्द का है दुलाल
हो जिसने गोकुल में धूम मचाई रे
खेले कान्हा जो रंग जागे मन में तरंग
हर अंग जैसे कन्हाई रे
सुनो कान्हा ने सुनो कान्हा ने
सुनो कान्हा ने बांसुरी बजायी रे
पायल राधा की छनन छान कई रे
बांसुरी की मधरु धुन आयी रे
तन मन की सुध बिसराई रे