श्री कृष्णा कहते है की
स्वार्थ संसार का एक ऐसा कुआं है जिसमें गिरकर निकल पाना बड़ा कठिन होता हैं।
सेहत के लिए योग और किसी की जरूरत पर सहयोग दोनों से ही जीवन बदलता है।
आत्म-ज्ञान की तलवार से काटकर अपने ह्रदय से अज्ञान के संदेह को अलग कर दो।
दुष्ट लोग अगर समझाने मात्र से समझ जाते तो यकीन मानो महाभारत कभी ना होता।
मनुष्य अपने विश्वास से निर्मित होता है, जैसा वो विश्वास करता है वैसा वो बन जाता है।