कन्हैया रुलाते हो, जी भर रुलाना,
मगर आंसुओ में, नजर तुम ही आना,
तुम्हारे है ये चाँद, तारे हज़ारो,
तुम्हारे है ये जग के, नजारे हज़ारो,
दशा पर मेरी सारे, जग को हसाना,
मगर उस हसी में, नजर तुम ही आना,
ये रो रो के कहते है, तुम से पुजारी,
क्यों फ़रयाद सुनते, नहीं तुम हमारी,
दया के समंदर हो, दया अब दिखाना,
मगर उस दया में, नजर तुम ही आना,
हो कितनी ही विपदा, न विशवाश टूटे,
लगन श्याम चरणों की, मन से ना छूटे,
भले ही अनेको, पड़े जनम पाना,
मगर हर जनम में, नजर तुम ही आना,
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