तर्ज़ -ऊंचो रात निशान श्याम को, लाम्बी डोरी खींच
निरखूं शोभा सांवरा,
पलका लेऊं बसाय,
जब चाहूँ दर्शन करूँ,
राखूं खूब सजाय……
सपना में देख्यो रे म्हाने,
श्याम धणी दातार,
हाथ फेर के सर पे बोल्यों,
बाबो लखदातार,
बावळा क्यों बघबरावे रे,
संकट का बादळ जीवन में,
आवे जावे रे,
नैण क्यों नीर बहावे रे,
तेरे साथ मैं खड्यो बावला
क्यों घबरावै रे…..
मोरछड़ी हाथां में,
सोहणों बागो घेर घुमेर,
हंस के गले लगायो बाबो,
जाणें कितणी देर,
मेरो हिवड़ो हरषावे रे,
केसर की बां महक आज भी,
जियो लुभावे रे,
बात भूली नहीं जावे रे,
तेरे साथ मैं खड्यो बावला
क्यों घबरावै रे…..
बागीचे फुलवारी जईयां,
हिवड़ो खिल गयो रे,
रोम रोम सें मिली बधाई,
ठाकुर मिल गयो रे,
जनम यो मिलतो जावे रे,
बात नहीं छोटी बाबो,
सपनां में आवे रे,
रोवतां धीर बंधावे रे,
तेरे साथ मैं खड्यो बावला
क्यों घबरावै रे…..
चरण धोय के सांवरिया,
चरणामत पिऊं रे,
लहरी चाकर बणके तेरो,
हर घड़ी जीऊं रे,
मोर मन झूम्यो जावे रे,
देख देख तन्ने श्याम सुरीली,
तान लगावे रे,
चैन की नींदा आवे रे,
तेरे साथ मैं खड्यो बावला
क्यों घबरावै रे…..
सपना में देख्यो रे म्हाने,
श्याम धणी दातार,
हाथ फेर के सर पे बोल्यों,
बाबो लखदातार,
बावळा क्यों बघबरावे रे,
संकट का बादळ जीवन में,
आवे जावे रे,
नैण क्यों नीर बहावे रे,
तेरे साथ मैं खड्यो बावला
क्यों घबरावै रे…..