तर्ज – बैठ्यो खाटू में लगा कर दरबार
महान सालासर ले चालो कोई आज, बुलाव बाबो बजरंगी
चालो-चालोजी ले चालो कोई आज, बुलाव बाबो बजरंगी
मकराण को मन्दिर थारो, ध्वजा फरुके भारी
दरशन करने थार द्वारे, आव नर और नारी
अँखिया तरस जी दरशन बिन आज, बुलाव बाबो बजरंगी
पवन पुत्र अंजनी के लाला, शिव शंकर अवतारी
बजरंगी है नाम तिहारो, राम के आज्ञाकारी
में तो जाऊँगो दरशन करने आज, बुलाव बाबो बजरंगी ।।
लाल-लाल है रूप तिहारो, लाल लंगोटा धारी
ऐसी सुन्दर शोभा थारी, लागे मनड़ न प्यारी
मनड़ो मान कोनी दरशन बिना आज, बुलाव बाबो बजरंगी ॥
“मित्र मण्डल” चरणां रो सेवक, अर्जी सुनो हमारी
दूर करो सब दुःख हमारे, आये शरण तिहारी
म्हारी भवसागर कर दो नैया पार, बुलाव बाबो बजरंगी ।।
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