तर्ज – जयकारा जयकारा
आएगा आएगा आएगा सावरा आएगा
तोड़के सच्चे प्रेम का बंधन , श्याम कहाँ जाएगा।।
सच्चे मन से जिसने हर पल , श्याम का नाम लिया है
कदम कदम पर उस प्रेमी को , श्याम ने थाम लिया है
प्रेमी जन के लिए कन्हिया , प्रेमी बन जाएगा।।
आएगा आएगा आएगा सावरा आएगा…..
श्याम सहारे श्याम का प्रेमी , कभी न हिम्मत हारे
कांटे है या फूल राह में , कुछ न कभी विचारे
श्याम नाम की ओढ़ चदरिया , बढ़ता ही जायेगा।।
आएगा आएगा आएगा सावरा आएगा….
प्रेमी भगत की श्याम प्रभु से , ऐसी रिश्तेदारी
एक दूजे की लाज की खातिर , अपनी लाज बिछादी
नंदू इस पावन गाथा को , जगत सदा गायेगा।।
आएगा आएगा आएगा सावरा आएगा…..
यह गाना भगवान श्रीकृष्ण (श्याम, सावरा) के प्रति भक्ति और प्रेम को व्यक्त करता है। आइए इसे हिंदी में समझते हैं:
पहला पद:
“आएगा आएगा आएगा सावरा आएगा तोड़के सच्चे प्रेम का बंधन , श्याम कहाँ जाएगा।।”
यहाँ यह कहा जा रहा है कि भगवान श्रीकृष्ण (सावरा) अवश्य आएंगे। सच्चे प्रेम के बंधन को तोड़कर श्याम (कृष्ण) कहीं नहीं जाएंगे, वे अपने भक्तों के पास ही रहेंगे।
दूसरा पद:
“सच्चे मन से जिसने हर पल , श्याम का नाम लिया है कदम कदम पर उस प्रेमी को , श्याम ने थाम लिया है प्रेमी जन के लिए कन्हिया , प्रेमी बन जाएगा।।”
इस पद में कहा गया है कि जिसने सच्चे मन से हर पल श्याम का नाम लिया है, भगवान कृष्ण ने हर कदम पर उस भक्त को संभाल लिया है। कृष्ण अपने प्रेमी भक्तों के लिए खुद प्रेमी बन जाते हैं।
तीसरा पद:
“श्याम सहारे श्याम का प्रेमी , कभी न हिम्मत हारे कांटे है या फूल राह में , कुछ न कभी विचारे श्याम नाम की ओढ़ चदरिया , बढ़ता ही जायेगा।।”
इसमें कहा गया है कि जो श्याम का प्रेमी है, वह श्याम के सहारे कभी भी हिम्मत नहीं हारता। चाहे रास्ते में कांटे हों या फूल, वह कुछ नहीं सोचता। श्याम के नाम की चादर ओढ़े वह निरंतर आगे बढ़ता जाता है।
चौथा पद:
“प्रेमी भगत की श्याम प्रभु से , ऐसी रिश्तेदारी एक दूजे की लाज की खातिर , अपनी लाज बिछादी नंदू इस पावन गाथा को , जगत सदा गायेगा।।”
इस पद में बताया गया है कि श्याम और उनके भक्त की रिश्तेदारी ऐसी है कि एक-दूसरे की लाज की खातिर दोनों अपनी लाज को दांव पर लगा देते हैं। नंदू (लेखक) कहता है कि इस पावन गाथा को सारा जगत हमेशा गाता रहेगा।
सारांश:
इस गाने में भगवान श्रीकृष्ण के प्रति भक्तों की अटूट श्रद्धा और प्रेम को दर्शाया गया है। यह बताता है कि सच्चे मन से जो श्याम का नाम लेता है, श्याम उसे कभी नहीं छोड़ते और हर कदम पर उसका साथ देते हैं। भक्त को श्याम के सहारे चलते रहना चाहिए, चाहे परिस्थितियाँ कैसी भी हों। भगवान और भक्त का प्रेम ऐसा होता है कि वे एक-दूसरे के मान-सम्मान के लिए सब कुछ करने को तैयार रहते हैं।
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