यह सच बात हैं कि भूल करके इन्सान कुछ सीखता है। परन्तु इसका यह मतलब नहीं कि वह जीवन भर भूल करता रहे और कहे कि हम सीख रहे हैं।
कृष्ण कहते हैं, इस जगत में मनुष्य भौतिक वस्तुओं का भोग कर सकता है। अगर वे चाहे तो सब कुछ छीन सकते हैं। मनुष्य कुछ भी नहीं कर सकता।
स्वार्थ से रिश्ते बनाने की कितनी भी कोशिश करें, वो कभी नही बनते हैं। और प्रेम से बने रिश्तों को कितना भी तोड़ने की कोशिश करें, वो कभी नही टूटते।
क्रोध से भ्रम पैदा होता है, भ्रम से बुद्धि व्यग्र होती है, जब बुद्धि व्यग्र होती है तब तर्क नष्ट हो जाता है। जब तर्क नष्ट होता है तब व्यक्ति का पतन हो जाता है।
आत्मा न तो जन्म लेती है, न कभी मरती है और ना ही इसे कभी जलाया जा सकता है, ना ही पानी से गीला किया जा सकता है, आत्मा अमर और अविनाशी है।