श्री कृष्णा कहते
है
श्री कृष्णा कहते
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मान, अपमान, लाभ-हानि, खुश हो जाना या दुखी हो जाना यह सब मन की शरारत है।
मान, अपमान, लाभ-हानि, खुश हो जाना या दुखी हो जाना यह सब मन की शरारत है।
जिसे तुम अपना समझ कर मग्न हो रहे हो बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दुखों का कारण हैं।
जिसे तुम अपना समझ कर मग्न हो रहे हो बस यही प्रसन्नता तुम्हारे दुखों का कारण हैं।
उस इंसान का मंजिल से भटक जाना तय है जिसकी संगत में नकारात्मक लोग रहते हैं।
उस इंसान का मंजिल से भटक जाना तय है जिसकी संगत में नकारात्मक लोग रहते हैं।
प्रेम सदैव माफी मांगना पसंद करता है और अहंकार सदैव माफी सुनना पसंद करता है।
प्रेम सदैव माफी मांगना पसंद करता है और अहंकार सदैव माफी सुनना पसंद करता है।
सिर्फ दिखावे के लिए अच्छा मत बनो मैं आपको बाहर से नहीं बल्कि भीतर से जानता हूं।
सिर्फ दिखावे के लिए अच्छा मत बनो मैं आपको बाहर से नहीं बल्कि भीतर से जानता हूं।
श्री कृष्णा के अद्भुत भजनो के लिरिक्स के लिए विजिट करे
https://bhajankitab.com/
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