नैनों की पुतलियों में, सरकार रम गये हैं
तर्ज़ – ये रेशमी जुल्फें, ये शरबती आँखें नैनों की पुतलियों में, सरकार रम गये हैं,दर्द की दास्तां, फिर सुनाऊँ …
तर्ज़ – ये रेशमी जुल्फें, ये शरबती आँखें नैनों की पुतलियों में, सरकार रम गये हैं,दर्द की दास्तां, फिर सुनाऊँ …